गयसाबाद (दस्तुरहाट) के प्राचीन जैन मंदिर का ध्वंसावशेष
अजीमगंज के पास गयसाबाद (जिला- मुर्शिदाबाद) में एक प्राचीन मंदिर था. जब यहाँ से जैन वस्ति लुप्त हुई तब यहाँ की प्रतिमा जियागंज के कीरतबाग में ला कर विराजमान कर दी गई. लगभग ४० वर्ष पूर्व अपने बचपन में ज्योति कोठारी (मै स्वयं) ने वहां जा कर इसके ध्वंसावशेष को देखा था. उस समय एक वृद्ध मुसलमान किसान ने एक जगह दीखाकर ये बताया था की ये जैन मंदिर था. उसके बाद मैं भी वहां कभी नहीं गया. अजीमगंज-जियागंज के लोग भी संभवतः इस मंदिर को भूल गए थे. प्राचीन शिलालेखों में भी
गयसाबाद का नहीं परन्तु दस्तुरहाट के मंदिर का उल्लेख है. शोध से इसकी सच्चाई का पता लगा की ये दोनों एक ही स्थान है.
प्रसिद्द जैन इतिहासज्ञ डॉक्टर शिवप्रसाद जी अभी अजीमगंज में हैं और वे आज अपने शोध कार्य के लिए गयसाबाद गए थे. उनके साथ श्री सुदीप जी श्रीमाल ने मुझे वहां के कुछ चित्र भेजे हैं. ध्वंसावशेष के इन चित्रों को यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है.
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गयसाबाद के प्राचीन जैन मंदिर का ध्वंसावशेष १ |
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गयसाबाद के प्राचीन जैन मंदिर का ध्वंसावशेष २ |
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गयसाबाद के प्राचीन जैन मंदिर का ध्वंसावशेष ३ |
गयसाबाद का पुराना नाम बद्रीहाट था एवं यह एक समृद्ध व्यापारिक स्थल था. सुल्तान गयासुद्दीन के नाम पर इस जगह का नाम गयसाबाद रखा गया.
सर विलियम विल्सन हंटर के "ए स्टैटिस्टिकल एकाउंट ऑफ़ बंगाल" के अनुसार यहाँ पर पाली भाषा के शिलालेख मिले थे जिन्हे एसियाटिक सोसाइटी में सुरक्षित रखा गया था. इससे यह लगता है की यह स्थान बौद्ध धर्म का भी केंद्र रहा था.
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गयसाबाद के प्राचीन जैन मंदिर का ध्वंसावशेष ४ |
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गयसाबाद के प्राचीन जैन मंदिर का ध्वंसावशेष ५ |
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गयसाबाद के प्राचीन जैन मंदिर का ध्वंसावशेष ६ |
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गयसाबाद के प्राचीन जैन मंदिर का ध्वंसावशेष ७ |
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गयसाबाद के प्राचीन जैन मंदिर का ध्वंसावशेष ८ |
नोट: बंगाल के जैन मंदिर: एक शोध परियोजना के परियोजना निदेशक जैन इतिहास विशेषज्ञ डॉक्टर शिवप्रसाद जी इस समय अजीमगंज में हैं और तथ्यों का संग्रह कर रहे हैं, इसके बाद वो कोलकाता आएंगे। सभी से निवेदन है कि उन्हे सहयोग प्रदान करें. यदि आपके पास बंगाल के जैन के जैन मंदिर, उपाश्रय, भोजनशाला, अतिथिशाला, धर्मशाला, जैन समाज के स्कूल, कॉलेज, अथवा इनके संस्थापक परिवारों के बारे में कोई ऐतिहासिक जानकारी या सुचना हो तो उन्हें अवश्य प्रदान करें.
Vardhaman Infotech
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