शहरवाली साथ में कुछ पहेलियाँ काफ़ी प्रचलित थी। इन्हे मैंने अपनी माँ, दादीमा आदि से सुना है। आप के लिए उनमे से कुछ यहाँ लिख रहे हैं। इनका उत्तर यहाँ नहीं दे रहें हैं ताकि आप इसका उत्तर ढूंढने की कोशीश करें।
यदि आप को भी कुछ याद हो तो हमें अवश्य लिखें।
१ हरी थी मन भरी थी , नव लाख मोती जडी थी,
राजा जी के बाग में, दुशाला ओढे खड़ी थी।
२ कटोरे पे कटोरा, बेटा बाप से भी गोरा।
३ दौडे दौडे गए दो, थम्ब गाड़ आए ,
बड़े मिया गिर पड़े, हम झट भाग आए।
४ न मारा ना खून किया, बीसों का सर काट दिया।
५ एक अचम्भा मैंने देखा, मुर्दा रोटी खाए,
बोलें तो बोले नहीं, पीटो तो चिल्लाये।
६. आया लटकन, दिया पटकन.
७. जल मछली जल मछली, जल में करे वासा
हाथ नहीं पाऊँ नहीं, करे तीन तमाशा.
यदि आप को भी कुछ याद हो तो हमें अवश्य लिखें।
१ हरी थी मन भरी थी , नव लाख मोती जडी थी,
राजा जी के बाग में, दुशाला ओढे खड़ी थी।
२ कटोरे पे कटोरा, बेटा बाप से भी गोरा।
३ दौडे दौडे गए दो, थम्ब गाड़ आए ,
बड़े मिया गिर पड़े, हम झट भाग आए।
४ न मारा ना खून किया, बीसों का सर काट दिया।
५ एक अचम्भा मैंने देखा, मुर्दा रोटी खाए,
बोलें तो बोले नहीं, पीटो तो चिल्लाये।
६. आया लटकन, दिया पटकन.
७. जल मछली जल मछली, जल में करे वासा
हाथ नहीं पाऊँ नहीं, करे तीन तमाशा.
Thanks,
(Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry)
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Char khamb gare, Do dwip jale.
ReplyDeleteAge babaji lute, piche chamar dole
He sakhi me bholi bhali
ReplyDeleteHaat lagate lag gayi chori
Mange ga to dungi kya
Puche ga to bolungi kya