शहरवाली समाज में अन्नप्राशन को खीर चटाई कहते थे. इस के अपने रीति रिवाज़ थे.
बच्चा अन्न खाने लायक होता था तब शुभ मुहूर्त में चांदी के कटोरे चम्मच से खीर चटाई करवाते थे। चांदी शुभ माना जाता है और स्वास्थ्यप्रद भी है। उससे पहले कोई अन्न बच्चे को नही देते थे। खीर चटाई के उपलक्ष्य में कार्यक्रम होता था। खीर चटाई भुआ करवाती थी।
मुंडन: तीसरे या पांचवें साल में बच्चे का मुंडन होता था। उस समय बाजे के साथ बच्चे को लेकर कुलदेवता, भैरव जी, माता जी आदि (जिनके घर का जो रिवाज़ हो) के यहाँ ले जा कर मुंडन करवाते थे वहां तेल सिन्दूर आदि चढाया जाता था। बच्चे को मन्दिर दर्शन करवा कर गुरु जी के पास बासक्षेप डलवाते थे और बच्चे को अक्षर ज्ञान करवाते थे। उस समय यती जी को ही गुरु जी कहा जाता था। यतीजी स्लेट में पेंसिल से ॐ नमो सिद्धं लिखवाते थे। मुंडन का विशेष महत्वा था और उस समय ख़ास उत्सव होता था।
बच्चा अन्न खाने लायक होता था तब शुभ मुहूर्त में चांदी के कटोरे चम्मच से खीर चटाई करवाते थे। चांदी शुभ माना जाता है और स्वास्थ्यप्रद भी है। उससे पहले कोई अन्न बच्चे को नही देते थे। खीर चटाई के उपलक्ष्य में कार्यक्रम होता था। खीर चटाई भुआ करवाती थी।
मुंडन: तीसरे या पांचवें साल में बच्चे का मुंडन होता था। उस समय बाजे के साथ बच्चे को लेकर कुलदेवता, भैरव जी, माता जी आदि (जिनके घर का जो रिवाज़ हो) के यहाँ ले जा कर मुंडन करवाते थे वहां तेल सिन्दूर आदि चढाया जाता था। बच्चे को मन्दिर दर्शन करवा कर गुरु जी के पास बासक्षेप डलवाते थे और बच्चे को अक्षर ज्ञान करवाते थे। उस समय यती जी को ही गुरु जी कहा जाता था। यतीजी स्लेट में पेंसिल से ॐ नमो सिद्धं लिखवाते थे। मुंडन का विशेष महत्वा था और उस समय ख़ास उत्सव होता था।
रीति रिवाज़: सिलामी और व्याह भाग २
ज्योति कोठारी
Thanks,
(Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry)
(Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry)
info@vardhamangems.com
Please follow us on facebook for latest updates.
No comments:
Post a Comment