अजीमगंज जियागंज के शहरवाली समाज में तास पत्ति का खेल बहुत प्रचलित था। औरत व मर्द दोनों ही तास खेलने के शौक़ीन होते थे। बच्छे लोग भी खेलते थे। बहुत से लोग रोज़ खेलते थे तो कुछ लोग सिर्फ दिवाली को। जब मुर्शिदाबाद से लोग कलकत्ता और दूसरी जगह चले गए तब भी बहुत से लोगों में यह शौक बरक़रार रहा। कुछ शौक़ीन लोग तो तास खेलने के लिए ही छुट्टी के दिनों में अजीमगंज या जियागंज आ जाते थे।
शहरवाली समाज में तास के साथ नकश का खेल भी बहुत पहले खेला जाता था जो तास के जैसा ही होता है। ये खेल मैंने कभी देखा नहीं पर सुना जरूर है। तास में रमी, तीन पत्ति का उपयोग जुआ खेलने में होता था। घर में शौक सेबगैरह खेला जाता था। आठ तास से खेला जाने वाला रमी वहां पर रूबी कहलाता था जिसे ज्यादातर बच्छे और औरतें खेलती थीं। इसके अलावा स्वीप, कतली का छक्का, ब्रीज बगैरह भी खेलते थे। एक बहुत ही मजेदार खेल होता थ "Bray". इस खेल को वहां बीबी धसानी बोलते थे।
आज से 30-35 साल पहले कुछ नए खेल भी इस सूचि में जुड़ गए थे जैसे कनास्ता, लिम्का, टनाला, 21 तास बगैरह। ये सभी खेल रमी का ही दूसरा रूप था।
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(Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry)
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