Thursday, October 10, 2019

Riju Srimal has become a Senior Foreign Affairs Officer in the US


Congratulations! MS. Riju Srimal has become a Senior Foreign Affairs Officer in the US. She belongs to the famous Shrimal family of Azimganj. Sri Neptune Srimal, her father, left Azimganj and settled in America long back.  He is a lecturer at Florida International University in the US. We, as Azimganjite, are proud of both the father and the daughter. Smt. Sangeeta Srimal is her mother. Riju Srimal, presently, is living in Washington DC, the capital of the US.

Riju Srimal Senior Foreign Affairs Officer in the US
Riju Srimal
First, I have written a blog post congratulating her in 2009 when she completed her Ph. D in Neuroscience. I wished more success and achievements in her life on that blog. Now, she has made the Shaharwali society proud of her achievement.

Late Sri Hari Singh Ji Srimal, her grandfather lived in Azimganj and Kolkata and was well-known in the society. He was a Jain scholar and used to conduct marriage rituals with Jain Vidhi.

Thanks,
Jyoti Kothari (Jyoti Kothari is the proprietor of Vardhaman Gems, Jaipur, representing Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is a Non-resident Azimganjite.) 

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Saturday, March 23, 2019

अजीमगंज मंडन 
श्री नेमिनाथ जिनेन्द्र स्तवन
(ढाल-नीबडलीनी)

जगपति नेमि जिनंद प्रभु म्हारा, जग. 
वावीसम शासन धनी, गिरुवा गुणनिधि राज। 
समुद्रविजय शिवा नन्द प्रभु म्हारा, जग 
सांवल वरन सुहामणा, गिरुवा गुणनिधि राज. 
यादवकुल शणगार प्रभु म्हारा,
शंख लांछन प्रभु शोभता,  गिरुवा गुणनिधि राज।
सौरिपुर अवतार प्रभु म्हारा, 
अपराजित सुरलोक थी, गिरुवा गुणनिधि राज।
देह धनुष दस मान प्रभु म्हारा,  
रूप अनूप विराजता, गिरुवा गुणनिधि राज।
आऊ थिति परमान  प्रभु म्हारा,  
वरस सहस इक अति भलो, गिरुवा गुणनिधि राज। 
प्रभु म्हारा,  गिरुवा गुणनिधि राज।
नवयौवन वर नार प्रभु म्हारा,
उग्रसेन नृप नन्दनी  गिरुवा गुणनिधि राज।
नाव भव नेह निवार प्रभु म्हारा,
राजुल राणी परिहरि, गिरुवा गुणनिधि राज।
पशुआँ तणी पुकार प्रभु म्हारा,
सांभली करुणा रास भर्या, गिरुवा गुणनिधि राज।
रथ फेरी तिण वार प्रभु म्हारा,
फिर आया निज मंदिरे,
गिरणारे संयम ग्रह्यो, गिरुवा गुणनिधि राज।
देइ संवत्सरी दान प्रभु म्हारा,  गिरुवा गुणनिधि राज।
पामी केवलज्ञान प्रभु म्हारा,
संघ चतुर्विध थपियो, गिरुवा गुणनिधि राज।
पंच सयां छत्तीस प्रभु म्हारा,
मुनिवर साथे मुनिपति, गिरुवा गुणनिधि राज।
शिव पुहूता सुजगीश प्रभु म्हारा,
पद्मासन बैठा प्रभु, गिरुवा गुणनिधि राज।
मासखमण तप मान प्रभु म्हारा,
करि अणशण आराधना, गिरुवा गुणनिधि राज।
गढ़ गिरनार प्रधान प्रभु म्हारा,
तीन कल्याणक जिहां थया, गिरुवा गुणनिधि राज।
योगीश्वर शिरताज प्रभु म्हारा,
निरुपाधिक गुण आगरु, गिरुवा गुणनिधि राज।
अविचल आतमराज प्रभु म्हारा,
पाम्यो परमानन्द मैं, गिरुवा गुणनिधि राज।
सकरण वीरज अंत प्रभु म्हारा, 
निरुपाधिक गुण आगरु,गिरुवा गुणनिधि राज।
नगर अजीमगंज भाण प्रभु म्हारा,
नेमि जिनेश्वर साहिबा,गिरुवा गुणनिधि राज।
शुद्ध क्षमाकल्याण प्रभु म्हारा,
आतम गुण मुझ दीजिये  गिरुवा गुणनिधि राज।


उपाध्याय श्री क्षमा कल्याण जी ने दो सौ वर्ष से भी ज्यादा पहले यह भजन लिखा था. 


Jyoti Kothari,  the proprietor of Vardhaman Gems, Jaipur, representing Centuries-Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is a Non-resident Azimganjite. 

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Sunday, February 24, 2019

कैसे बनी शहरवाली बोली? मुर्शिदाबाद जैन समाज की भाषा


कैसे बनी शहरवाली बोली? मुर्शिदाबाद जैन समाज की भाषा 

हम भौत दिन से इ ब्लॉग लिक्खें हैं किन्तु हरदम हिंदी नइ तो इंग्रेजी में इ लिक्खें. लेकिन मन में किया की इ  ब्लॉगपोस्ट ठो  शहरवाली बोली में इ लिक्खङ्ग। सबको शायत मालूम नइ है की शहरवाली बोली कैसे बना. अब तो बेसी भाग आदमी शहरवाली बोलना इ  छोड़ दिस है. हो सके नया लडक़ावाला लोग को तो इसका पता इ नइ हो.

जब दो अढ़ाई सौ वरस पहले हमलोग राजस्थान- मारवाड़ से हियाँ मुर्शिदाबाद  आयें थैं तब हमलोग का बोली मारवाड़ी इ था. मारवाड़ी हिंदी के तरे इ है और धरम का बई भी सब हिंदी में था. हियाँ बीकानेर से गुरु जी और सिरिपुज्जी लोग का भौत आना जाना था, उलोग पाठशाला में भी धरम और हिंदी पढ़ाते थे इससे शहरवाली बोली हिंदी से मिलता जुलता इ था. धरम का पढ़ने से संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश भाषा का शब्द भी इसमें मिला. फेर हियाँ आने के बाद नवाब और मुसलमान लोग के संग रहेने से उलोग का बोली उर्दू उसमे मिल गिया। हियाँ का आदमी लोग बंगाली था और बँगला बोलता था तो आस्ते आस्ते उसमे बंगला भी मिल गिया। अजीमगंज, जियागंज, बालूचर में रहने वाले लोग मज़े का पढ़े लिखे थे और अच्छा इंग्रेजी भी जानते थे. साहब लोग के संग भी हियाँ के बड़े आदमी लोग का अच्छा उठ बैठ था. सो हियाँ की बोली में इंग्रेजी भी मिक्स हो गिया. थोड़ा भौत फ़ारसी, तुर्की, आर्मेनियन, फ्रेंच भाषा का शब्द भी उसमे मिला. ऐसे कर के इत्ता जगे का शब्द, भाषा और बोली मिलके शहरवाली बोली बन गिया। किन्तु इसका कोई बैकारोन नइ  है, इसलिए इसको भाषा के गिनती में  नइ लिया जा सके.

४०-५० बरस पहले जब हमलोग अजीमगंज में रहते थें तब सबकोई अइ बोली में इ बोलता था. मेरा नानाबाड़ी कलकत्ते में झौरी साथ में है, हुवाँ तो सबकोई हिंदी इ बोलता था. छोटे में जब हमलोग नानाबाडी जातें तब हमलोग के बोली का सबकोई भौत मज़ाक उड़ाता था लेकिन हमलोग ठीक से हिन्दी नइ बोल सकते थें, तो सुनना पड़ता था और अच्छा नइ लगता था. अब बेसी भाग आदमी अजीमगंज जियागंज से भार रहने लग गिया है बोलके उलोग भी अब आस्ते आस्ते अपना बोली भूलने लग गिया। नया लड़काबाला लोग बेसी करके इंग्रेजी स्कूल में पढ़े और थोड़ा हिंदी और बांग्ला भी सीखे। घर में भी अब शहरवाली बोली का चलन काम हो गया है बोलके उलोग तो अपना भाषा मोटामोटी जाने इ नई.

हम भी ३५ बरस पैले जैपुर आ गियें थैं सो हियाँ की बोली इ बोलने लगैं किन्तु अजीमगंज के बोली से अभी भी प्रेम है बोलके आज इठो लिखने का मन हो गिया। भौत  दिन बाद लिखैं बोलके कुछ भूल होये तो ठीक कर लीजेगा. और हाँ, एक ठो बात और, आप लोग भी इसमें थोड़ा लिखिए तो अपना भाषा थोड़ा लोग को मालूम पड़ेगा. नया बच्चा लोग को भी थोड़ा इसब पढईये, और बोलना सिखइये तब तो अपना भाषा ज़िंदा रैगा।

शहरवाली शब्दों का वाक्य प्रयोग: मुर्शिदाबाद की भाषा भाग ७


Jyoti Kothari
(Jyoti Kothari is the proprietor of Vardhaman Gems, Jaipur, representing a centuries-old tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is a Non-resident Azimganjite.) 

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शहरवाली शब्दों का वाक्य प्रयोग: मुर्शिदाबाद की भाषा भाग ७

शहरवाली शब्दों का वाक्य प्रयोग: मुर्शिदाबाद की भाषा भाग ७ 

१. बेशी (बहुत) ओदा-खोदा (कुरेदना) करने से कुछ नहीं होगा। जो हमलोग को मालूम है उससे बेसी उल्लोग (उनलोग) को बी (भी) मालूम नई (नहीं) है.
२. उत्ता (उतना) टुकु (सा) खाइस (खाया) है.
३. कुएं से बैङ्गि में पानी पडिंदे में भर दो.
४. गोरु (गाय) को घांस (घास) और पाखी (चिड़िया) को चाबल दे दीजो (देना).
५. बड़ा भाई, मझला भाई, सझला (तीसरा) भाई, छोटा भाई, नन्हा भाई (बहुत छोटा,पांचवां)), फुच्ची (छठा) भाई और नन्हा-फुच्ची (सातवां) भाई सब कोई सझली भुआमा और नन्ही फुच्ची मासिमा के संग जात्रा (यात्रा) करने पालीताना गिया (गया) है.
६. बीकानेर में सिरि (श्री) पुजजी (पूज्यजी) म्हाराज (महाराज) का पुषाल (पौषाल, उपाश्रय) है. हुवाँ (वहां) उनके संग (साथ) भौत (बहुत) सारे गुरूजी (यति) लोग भी रहें (रहते हैं).
७. उसके मन में भौत छक्का पंजा (मायाचारी, कपट) है और सात पांच भी बेसी करे बोलके (इसलिए) उससे कोई भिड़ने नइ (नहीं) मांगे (मांगता है).
८. कोई भी मसाले के गुंड़े (चूर्ण, पाउडर) को बुकनी बोले. तरकारी सिझाने के पहले उसमे मसाले का बुकनी डालना चहिए?
९. भौत गरम है. इत्ता (इतना) सट-सट (नज़दीक-नज़दीक) के मत बैठो.
१०. बाबू को बुखार है, आज न्हलइयो (नहलाना) मत, खाली मु (मुँह)-हाथ धुला दीजो.
११. आज बदली (बादल) करके रक्खीस (रखा) है,  गुमस (उमस) है, लेकिन बरसात नइ होये.
१२. आंग (शरीर) हात (हाथ) में दरद (दर्द) होये (होता है) तो कबराज (कविराज-वैद्य) जी को दिखाओ नइ क्यों?
१३. गोटे (पुरे) बदन (शरीर) में कादा (कीचड़) माख (मल) के आया है.
१४. चाँई-मुलाइन (सब्ज़ी बेचनेवाली जाती विशेष) लोग से तरकारी (सब्जी) खरीद लियो? अच्छा जामुन ले के अइयो (आना) कल के तरे (तरह) खुदी जाम (जामुन की जंगली जाति, छोटा होता है) मत ले अइयो।
१५.  छत में एक ठो तीर और दो ठो बरगा  बदलाना है.  दागरेज़ी (मरम्मत) कराने के लिए मिस्त्री को तो बोल दियो किन्तु पायेट (मज़दूर) का बोलियो नइ. दूसरे छत के लिए सुरकी (सुर्खी) कम पडेगा थोड़ा राबिस भी ले लीजो. दीवाल का प्लास्टर आज नइ होगा क्योंकि मिस्त्री करनी तो ले आया रूसा लाना भूल गिया। पलस्तर हो जाये तो हात (हाथ) के हात पुचारा (पुताई) भी करवा लीजो (लेना).
१६. आज बड़ी कोठी के पुश्ते में सरभाव (सभी का) जीमण होगा.
१७. थोड़ा सा पैसा क्या हो गिया, अदराने (इतराने) लग गिया, बेसी (ज्यादा) बोली फूटने (बोलने) लग गिया। सोजा सोजी (सीधे सीधे) बोले तो इत्ता (इतना) घमंड हो गिया की......
१८. कडबेल (कपीठ) के पाचक (चूर्ण) से फुट्टापुड़ी खा लो.
१९. बाप दादे (बुजुर्गों) के जमाने से से देखते आये हैं नेचु (लीची) के झुक्के में २८ ठो नेचु , छाते (कमलगट्टा) के मुट्ठे में २५ ठो छाता होता था, आम तो बराबर इ २८ गंडा (चार) का सौ होये.
२०. चवारा ठो भौत दिन से बंद था, गोटे (पुरे) जाला धर गिया और एकठो कैसा गुमसानी (उमस) गंध भी हो गिया था.
२१. लड़काबाला (बच्चे) लोग को बोलियो उधिर (उधर) से नइ जाए, उ (उस) रस्ते (रास्ते) में पिच्छल (फिसलन) है गिरेगा तो गोटे (पुरे) आंग में क़ादा मख जागा।
२२. लालू हमसे बाज़ी (शर्त) लगाइस (लगाया) था की मोहनबागान जीतेगा किन्तु हार गिया।
२३ बग़ान (बगीचा) में एकठो नरंगी (नारंगी) का गाछ (पेड़) पोतीस (रोपा) था, किन्तु लगा नइ.
२४. बदमाईशी तो देखो, ढेला (पत्थर या ईंट का टुकड़ा) मार के कांच फोड़ दिस.
२५. बरात में गिये थैं हुवाँ (वहां) सब कोई तास खेलने लगे. बड़े लोग (वयस्क) रमी और स्वीप खेल रहे थे. और बच्चे लोग? तीन दो पांच, सात आठ, गधा लोडिंग, और गुलाम चोर. कोई कोई कोट-पीस भी खेल रा (रहा) था. तीन दो पांच में बुज़ को ले के बच्चे लोग में झगड़ा भी हो गिया। सबसे बेसी मजा बीबी धसानी (ब्रे) खेलने में आया था.
२६. कतली (ईंट- तास के खेल में) का छक्का खेलने में एक जने के पास झबड़े (हुकुम) का टिक्का (इक्का), साहेब (बादशाह), और कतली का बीबी (बेगम) आया था.
२७. घाट में माझी नई था, नउका (नाव) नई मिला तो गंगा जी हेल (तैर) के आ गिया।
२८. गल्ली (गली) ठो बरसात से एकदम सैंतसैंते (गीला गीला) हो गिया है.
२९. झड़ी-पानी (बरसात) का दिन है, मेघ (बादल) कर के रक्खीस है, गड़ गड़ भी करे हे, गंगा जी में ढेउ (तरंग) भी भौत (बहुत) है; अभी उ (उस) पार जाना ठीक नई.
३०. कल अक्खय (अक्षय) निधि का मौच्छव् (महोत्सव- वरघोड़ा) निकलेगा, सबकोई जरूर से अइयो (आना).
३१. उसके माथे में घाउ (घाव) हो गिया था बोलके नापित (नाइ) को दे के नैड़ा (गंजा) हो गिया।
३२. धरम चन्द जी के कबीले (विधवा) का ५ रुपिया चांदा (चन्दा) लिखा गिया था.
३३. छमछरी (संवत्सरी) का पड़कौना (प्रतिक्रमण) कियो (किया) थो (था)? सुत्तर (सूत्र- कल्पसूत्र) जी सुनियो ? (सुना क्या)?
३४. उ (वह) इंरेजि (अंग्रेजी) का बई (किताब) पढ़े (पढ़ रहा) हे (है).
३५. बाबाजी (ताऊजी) सूत (सो) गिये (गए) हैं.
३६. तामे (ताम्बे) के ततैड़े (टंकी या कढ़ाई) में पानी भरा हुआ है.
३७. पहले तो बेसी होम्बी तोम्बी (घमंड से बोलना) किस (किया) अब नैका (जैसे कुछ जानता न हो) सजके बैठा है.
३८. अबकी बरस इत्ता पानी बरसा की बान (बाढ़) आ गिया।
३९. लड़का ठो एकदम बिलल्ला हो गिया है, इत्ता बिहोद्दापना (बेहूदापन) करे की पूछो इ मत.
४०. फल सब झाँपी (बेत से बनी हुई ढंकने की) से ढांक के रखियो नइ तो मक्खी से भर जागा (जायेगा)।
४१. मेघराज बाबू हमलोग को हरदम मंडा (सन्देश जैसी छेने की मिठाई) खिलाते थें।
४२. छोटू उसको इत्ता करके बुझाइस (समझाया) तो भी मानिस (माना) नइ (नहीं).
४३. लण्ठन बुता (बुझा) के सुत (सो) जाओ. सीड़ी से चप (चढ़) के जाओगे तो उप्पर दुछत्ती है. हुवाँ से सामान ले के फेर नीचे नम (उतर) जइयो।
४४. रस्ते में देख के चलियो नइ तो गाड़ी से चापा (दब) पड़ जाओगे।
४५. अरे थोड़ा जल्दी करो, ऐसे शुटुर शुटुर (बहुत धीरे) करोगे तब तो हो गिया।
४६. बेटा, दूध गुटगुट (जल्दी से) कर के पी लो.
४७. इ देखो, सब घामड़ घिट्ट (घृनाष्पद ,गन्दा) कर दिस है.
४८. मोड़ी (नाली) से अभी कङ्गोजर (कानखजूरा) निकला था. 
४९. धनपत सिंह जी की कबीला (विधवा) ने पुशाल (उपाश्रय) के कहते में २० रूपया चिटठा भरा था।  
५०. एक दम नन्हा गिगले (एक दम छोटा बच्चा) के तरे करे हे. 
५१. उसके भौत कुटीचाली (कपटी) बुद्धि है.  
५१. तरकारी में धनिये का बुकनी (पिसा धनिया) डाल दियो?
५२. मुरब्बा बनाने के लिए तो एक गछिया (एक ही पेड़ का)) आम चहिये (चाहिए)। 
५३. माँ आज कंजाल (केले के पेड़ के तने का अंदरूनी भाग) का तरकारी बनाइन (बनाया) हैं। 
५४. खाते (कॉपी) के उप्पर (ऊपर) काली (स्याही) गिर गिया और पुरे लिभड़ (बुरी तरह फ़ैल) गिया (गया)।  
५५.  पानी में कल्का फुट गिया (उबाल आ गया) है, चुले (चूल्हे) से उतार लीजो (लेना). 


शहरवाली शब्दकोश (शब्दावली) Murshidabad Dictionary

शहरवाली शब्दों का वाक्य प्रयोग: मुर्शिदाबाद की भाषा भाग 6

शहरवाली बोली के कुछ और उदहारण: मुर्शिदाबाद की भाषा भाग ४

शहरवाली शब्दों का वाक्यों में प्रयोग: मुर्शिदाबाद की बोली भाग ३

शहरवाली शब्दों का वाक्य प्रयोग: मुर्शिदाबाद की बोली भाग २

शहरवाली शब्दों का वाक्य प्रयोग: मुर्शिदाबाद की बोली भाग १

Thanks,
Jyoti Kothari, Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries-Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is an adviser, Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional. 


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Thursday, January 10, 2019

शहरवाली समाज मे प्रचलित फल

एक समय था जब अजीमगंज में वहां के स्थानीय फल ही मिलते थे पर वो सस्ते होते थे। आजके प्रचलित फल अनार, सेव आदि थोड़ी बहुत मात्रा में कोलकाता से आते थे और महंगे होते थे।

मैं उन फलों के नाम आज याद कर रहा था, अगर आप कुछ जोड़ सकें तो इस सूची को समृद्ध करें।
केला, पपीता, नारंगी (संतरा नही), सपाटु (सफेदा, चीकू), शरीफा (सीताफल), बेर, पेमली बेर, फालसा, जामुन, सफेद जामुन, नेचु (लीची), कटहल, सपड़ी आम (अमरूद), खरबूजा, तरबूज, डाव (नारियल), खजूर, तलखुन (ताड़), बड़ा नेबु (बिजोरा), और सबसे ज्यादा *फलों का राजा आम।*

इसके अलावा अमड़ा, कमरख, करौंदा, आंवला और जलपाई को भी फलों की श्रेणी में रखा जा सकता है।

ज्योति कोठारी


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