शहरवाली बोली के कुछ और उदहारण: मुर्शिदाबाद की भाषा
१. सपरीआम ठो डम्बक हो गिया है.
२. होली में सांग सजेगा.
३. होली में बिहोद्दापना मत करियो.
४. दूरखेली के दिन रंग से नई अबीर से खेला जाये.
५. अभी कचमिट्ठी आम नई आवेगा.
६. पक्का आम आबे तब अमोट बना लीजो.
७. मझाइन लोग का नाच देखियो थो?
८. कोठीवाली में लिखना आबे?
९. बाउजी, बाबाजी और बडियामा हूँआँ आमङि. तुमलोग भी अइयो.
१०. बऊ पिरे से कब आबेगी?
११. जानिवासे में कौन रहेगा?
१२. बराती विदे में क्या दोगे?
१३. बऊ भात कल है.
१४. बड़ा नेबू का गाछ पोत दियो?
१५. छुमारे का गोली बना है.
१६. बोड़े का बुंदिया आजकल कम बने.
१७. चौदस को डुबकी का झोल, इंडल और भात के संग खाने के लिए चुरा बना लीजो. रहड़ का खिचड़ी बनाओ तो अम्बल पानी भी बना लीजो.
१८. चूले में टिकड़ा बनाओ तो फौंक में दाल चढ़ा दीजो. बटुए को बाउली से उतारियो.
१९. बेसन का उल्टा एकदम चिमड़ा हो गिया है.
२०. बाईजी, मिरचाई का बुकनी कहाँ है?
२१. आम का कूचा बनायो हो?
सभी पाठकों से अनुरोध है की शहरवाली बोली से संवंधित कोई उदहारण अगर आपको याद आये तो हमें लिख कर भेजिए. यह बोली अब लुप्त प्राय है और इसके संरक्षण की आवश्यकता है. इस काम में आप सभी का सहयोग अपेक्षित है.
शहरवाली शब्दों का वाक्य प्रयोग: मुर्शिदाबाद की बोली भाग २
शहरवाली शब्दों का वाक्य प्रयोग: मुर्शिदाबाद की बोली
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(Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry)
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