Friday, July 31, 2015

मेरी पूज्या माता श्री स्वर्गीया श्रीमती कुसुम कुमारी कोठारी




मेरी पूज्या माता श्री स्वर्गीया श्रीमती कुसुम कुमारी कोठारी , धर्मपत्नी, स्वर्गीय श्री धीरेन्द्र पत जी कोठारी की सप्तम पुण्य तिथि आज जयपुर में मनाई गई। श्रीमती कुसुम कुमारी कोठारी का स्वर्गवास ७ वर्ष आज ही के दिन ३१ जुलाई २००८ को ह्रदय रोग से जयपुर में हुआ था। उस समय आप ७९ वर्ष की थीं।

श्रीमती कुसुम कुमारी का जन्म कोलकाता के स्वनाम धन्य राय बद्रीदास बहादूर मुकीम परिवार में इस्वी सन १९३० में हुआ था। 
कोलकाता  के प्रसिद्ध पारसनाथ मन्दिर के निर्माता एवं वाइस रोय के जौहरी राय बद्रीदास बहादुर के ज्येष्ठ पुत्र श्री राय कुमार सिंह आप के दादा व श्री फ़तेह कुमार सिंह मुकीम आप के पिता थे। आप का ननिहाल रिंगनोद, मालवा के प्रसिद्ध बड़े रावले में था एवं ठा. रणजीत सिंह जी श्रीमाल आप के नाना थे. आप की माँ का नाम श्रीमती सज्जन कुमारी था।

बचपन से ही आप में परिवार के अनुरूप धार्मिक संस्कार थे। उस काल में भी आपने अंग्रेजी एवं संगीत की शिक्षा प्राप्त की थी। आप वीणा व हारमोनियम बजाया करती थीं।

आप का विवाह अजीमगंज के पानाचंद नानकचंद कोठारी परिवार में श्री कमलापत कोठारी के पौत्र व श्री चंद्रपत कोठारी के कनिष्ठ पुत्र श्री धीरेन्द्र पत कोठारी से सन १९४६ में संपन्न हुआ। आपके प्रमिलाउर्मिलानिर्मलाशीला  सुजाता नाम की पाँच पुत्रियाँ व ज्योति नाम का एक पुत्र हुआ जिनमे निर्मला का देहांत बचपन में ही हो गया था। अभी आपकी चार पुत्रियाँ व एक पुत्र मौजूद हैं। आपकी दौहित्री (नतनी) व शीला लोढा की पुत्री ने साध्वी श्री शशिप्रभा श्री जी के पास (१९९८) अल्पायु में दीक्षा ग्रहण की थी। वे आज साध्वी श्रीश्रद्धान्विता श्री जी के नाम से जानी जाती हैं। साध्वी श्री श्रद्धान्विता श्रीशीला  सुजाता तीनो ने ही इस वर्ष वर्षी तप का परना पलिताना में किया।

 सितम्बर १९७९ को श्री धीरेन्द्र पत कोठारी के अल्पायु में देहावसान के बाद पुरे परिवार की जिम्मेदारी आप पर आ गई जिसे उन्होंने बखूबी निभायी । साथ ही अपना जीवन पुरी तरह से धर्म ध्यान में समर्पित कर दिया। आप प्रतिदिन जिन पूजा के अलावा चार- पाँच सामायिक किया करती थीं। दृढ़ता पूर्वक एक आसन में बैठ कर जप करना आप को बहुत प्रिय था। आपने अपने जीवन में पालिताना, सम्मेत शिखर, आबू, गिरनार, पावापुरी, राजगृह, कुण्डलपुर, चम्पापुर, नाकोडा, नागेश्वर, मांडव गढ़, अजमेर, मालपुरा, महरोली आदि सैंकडों तीर्थों की यात्राएं कर पुण्य उपार्जित किया। अजीमगंज में प्रसिद्ध नवपद ओली की आराधना आप जीवन पर्यंत करती रहीं। इसके अलावा आपने वीस स्थानक, मौन ग्यारस, ज्ञान पंचमी आदि अन्य अनेक तपस्चर्यायें भी की। आपने शत्रुंजय तीर्थ की निन्याणु यात्रा भी की।

आज हमारी माँ हमारे बीच में नहीं हैं परन्तु उनकी यादें व उनके दिए हुए धार्मिक संस्कार आज भी हमारा मार्ग दर्शन करती है। हम उनके सभी बच्चे यही प्रार्थना करते हैं की वे जहाँ हैं वहीँ से हमें आशीर्वाद प्रदान करती रहें।

ज्योति कोठारी, पुत्र,
ममता कोठारी, पुत्रवधू, दर्शनपौत्र, जयपुर
प्रमिला पालावत, पुत्री, कोलकाता
उर्मिला बोथरा, पुत्री, आगरा
शीला लोढा, पुत्री, बंगलुरु 
सुजाता पारख, पुत्री, रायपुर

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Saturday, July 11, 2015

कर्मयोगी श्री अभय चन्द जी बोथरा का स्वर्गवास


श्री अभय चन्द जी बोथरा


कर्मयोगी श्री अभय चन्द जी बोथरा का कल रात कोलकाता में स्वर्गवास हो गया है. हम उनके स्वर्गवास पर हार्दिक शोक संवेदना प्रगट करते हैं. श्री अभय चन्द जी बोथरा पुत्र स्वर्गीय श्री मोहनलाल जी बोथरा  'मारवाड़ी साथ" के थे एवं उनका विवाह अजीमगंज के पानाचंद नानकचन्द कोठारी परिवार के श्री अभय चन्द जी कोठारी की पुत्री प्रभा देवी से हुआ था.

वे सच्चे अर्थों में कर्मयोगी एवं सादा जीवन उच्च विचारों के प्रतीक थे. अपनी मेहनत से उन्होंने अपने ताले के व्यवसाय को बहुत बढ़ाया एवं व्यापर में नैतिकता के उच्चतम मानदंडों का जीवन पर्यन्त पालन किया। पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने अपने सभी छोटे भाई-बहनो का पालन पोषण किया एवं उन्हें भी उच्च नैतिक मानदंडो का पालन करने के लिए प्रेरित करते रहे. उन्हें अध्ययन करने का एवं फोटोग्राफी का भी बहुत शौक था एवं अपनी व्यस्त दिनचर्या में से भी इन कामो के लिए समय निकल लिया करते थे।  वे बहुत ही उच्च दर्ज़े के फोटोग्राफर थे

बुद्धिमत्ता एवं धार्मिक संस्कार उन्हें विरासत में मिली जिसके कारण नित्य पूजा पाठ करने वाले होते हुए भी धर्म का कोई दकियानूसी बंधन उनमे नहीं था।  अपने जीवन के समस्त धार्मिक, सामाजिक, व्यापारिक एवं पारिवारिक कर्त्तव्य निर्वाह में उन्हें अपनी पत्नी प्रभा देवी (छोटकी) का भरपूर साथ मिला। आपके चाचा श्री शुभकरण जी बोथरा स्वनामधन्य जैन विद्वान एवं स्वतंत्रता सेनानी थे एवं मामा श्री पुनम बाबू नाहर ने जैन दीक्षा अंगीकार की थी.

ऐसे कर्मयोगी व्यक्ति का निधन परिवार एवं समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है परन्तु विधि के विधान के आगे किसी का वष नहीं चलता। अरिहंत परमात्मा के भक्त ऐसे व्यक्ति को अवश्य ही सद्गति प्राप्त हुई होगी, वे जहाँ भी हैं वहीँ से हम सब पर आशीर्वाद की वर्षा करते रहें यही कामना करते हैं.

Jyoti Kothari (Proprietor Vardhaman Gems, Jaipur, representing Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is a Non-resident Azimganjite.)

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Friday, July 10, 2015

Shaharwali blog has completed its seven years on 26th June 2015




Shaharwali blog has completed its seven years on 26th June 2015 and we have celebrated its anniversary. I have started writing about Shaharwali community capitulating my memories and put those in Azimganj-Jiaganj-Murshidabad blog. It was June 27, 2008. 


This blog has scored one hundred sixty-three (163) posts since then covering almost all aspects of Shaharwali community.More than 62,000 (Sixty-two thousand) visitors have visited the blog, read posts from all over the world. Surprisingly, We have 50,000 international visitors, according to Google statistics.


 The blog has been developing as a reference site for Shaharwali community. Thanks to the readers, commenters and those who supplies useful materials. We are also thankful to them who helped spreading the message and propagate the blog.


We seek worldwide representatives for the blog.

Representatives for Shaharwali blog


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Jyoti Kothari
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