Monday, September 19, 2016

सिताब चन्द प्रसन्न चन्द बोथरा परिवार के सम्वन्ध में कुछ नए तथ्य


शहरवाली समाज के एक प्रमुख परिवार बोथरा परिवार के श्री विनोद चन्द जी बोथरा कल जयपुर में मेरे घर पधारे थे और उनसे उनके परिवार के सम्वन्ध में कुछ नए तथ्य जाने  को मिले।  श्री विनोद चन्द जी बोथरा शहरवाली समाज के स्वनाम धन्य श्री परिचन्द जी बोथरा के सुपुत्र एवं श्री प्रसन्न चन्द जी बोथरा के पौत्र हैं.

उन्होंने बताया की अजीमगंज में श्री सिताब चन्द जी बोथरा का अपना कोई मकान नहीं था और वे किराये के मकान में रहते थे, उनका परिवार काफी बड़ा था. उनके घर में कुलदेवी आदि की अनेक मूर्तियां थीं परंतु उन्होंने निश्चय किया की उनके घर में केवल अरिहंत परमात्मा की पूजा होगी अन्य किसी की पूजा की कोई आवश्यकता नहीं है; इसलिए उन्होंने बाकि की सभी मूर्तियों को गंगा जी में विसर्जित कर दिया। तबसे उनके घर में कुलदेवी या भैरव जी आदि किसी की पूजा नहीं होती है।

श्री सिताब चन्द जी बोथरा अल्पायु में निधन हो गया तब उनके ज्येष्ठ पुत्र श्री प्रसन्न चन्द जी बोथरा को उनकी माता जी बहादुर सिंह जी सिंघी के यहाँ कोल्कता ले कर आ गई, यह प्रसन्न चन्द जी की मासी का घर था और यहीं उनका लालन पालन हुआ. प्रसन्न चन्द जी बोथरा ने कोलकाता में पात की दलाली का काम शुरू हुआ और धीरे धीरे काम जम गया. उनके तीनो पुत्र श्री परी चन्द जी, श्री चन्द जी व गंभीर चन्द जी भी इसी काम में लग गए. उनके बड़े लड़के पारी चन्द जी ने  १९४५ में जियागंज में पहला मुकाम खरीदा और प्रसन्न चन्द बोथरा ऐन्ड सन के नाम से कारोबार शुरू किया। इस कारोबार में उन्होंने बहुत नाम एवं पैसा कमाया। उनके छोटे भाई श्री गंभीर चन्द जी बोथरा भी उनके साथ इसी काम में लगे थे.

दूसरी तरफ मझले भाई श्रीचंद जी बोथरा ने प्रसिद्द ब्रिटिश कंपनी A. M. Mair को खरीद लिया और जुट की दलाली करते रहे. तीनो भाई पारसी बागान में पिता द्वारा खरीदे मकान में ही संयुक्त परिवार में रहते थे. बाद में परीचन्द जी एवं श्रीचंद जी ने डोवर रोड (देवदार स्ट्रीट) में नया मकान बना लिया और गंभीर चन्द जी पुराने मकान में ही रह गए.


Famous persons and families in Murshidabad part 6: Bothra Family


Jyoti Kothari
(Jyoti Kothari is proprietor of Vardhaman Gems, Jaipur, representing Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is a Non-resident Azimganjite.) 

allvoices

2 comments:

  1. Thanks for the posting but I know you will forgive me if I say that this post does not even scratch the surface of the philanthropy and selfless social service of the PariChandji Bothra and his brothers. They were a backbone for the Saharwali society. They were foremost in Swamibatsalya -- I have lost count of how many Puja and Jiman from the Bothra family we had attended-- they used to have a puja and jiman to commeorate events like "15th anniversary of their mother's Tapasya". Many a family were helped by them financially but these were all "gupta daan" -- even the kids at their home did not know who were the recipients. In all Saharwali jimans -- you could rely on the Bothra ji's to happily take care of all arrngements -- they even used to stand and supervise cooking arrangements! They were conservatives in the matters of samaj -- but were a true, selfless, devoted leader of the Saharwali samaj!

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  2. Thanks Neptune Ji for your comment and addition this is the way the blog can be enriched. However, I have already written about the philanthropic works of Bothra family and a link is given here to that post. This is just an addition to that post. Thanks again anticipating more contribution from a scholarly person like you.

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