Thursday, August 6, 2020

अजीमगंज श्री नेमिनाथ भगवान के प्राचीन मंदिर के सम्वन्ध में ऐतिहासिक तथ्य


अजीमगंज श्री नेमिनाथ भगवान के मंदिर के सम्वन्ध में कुछ नए तथ्य मिले हैं जिससे अब इस मंदिर का इतिहास स्पष्ट हो गया है. कल अजीमगंज से श्री विजयपाल सिंह जी बच्छावत ने बताया की मूलनायक भगवन श्री नेमिनाथ एवं दोनों बाजु की दो प्रतिमाओं में एक लेख है. उस लेख के अनुसार सम्वत 1850 (1793 ईस्वी) में श्री जिन लाभ सूरी जी के शिष्य श्री जिन चंद्र सूरी के कर कमलों से प्रतिष्ठित उपरोक्त तीनों प्रतिमा सम्वत १९४३ में यहाँ प्रतिष्ठित की गई. 


अजीमगंज श्री नेमिनाथ स्वामी के मंदिर के इतिहास के सम्वन्ध में कुछ विभ्रांति, भ्रम की स्थिति थी जिसे मैंने इस ब्लॉग में पहले भी लिखा था. हमारी जानकारी के अनुसार इस मंदिर की प्रतिष्ठा सम्वत १९४३ हुई थी. लेकिन बाद में उपाध्याय श्री क्षमा कल्याण जी द्वारा लिखित अजीमगंज श्री नेमिनाथ स्वामी का एक प्राचीन स्तवन प्राप्त हुआ. यह स्तवन कम से कम दो सौ वर्ष प्राचीन है. जबकि यदि प्रतिष्ठा सम्वत १९४३ माना जाये तो यह मंदिर मात्र १३२ वर्ष पुराना है. 

एक अन्य तथ्य भी प्राप्त हुआ था जिसके अनुसार अजीमगंज में एक मंदिर गंगा (भागीरथी) के कटान में चला गया था, उसका समय पता नहीं था. जहाँ आज श्री नेमिनाथ स्वामी का मंदिर है वहां एक गंभारा श्री वासुपूज्य स्वामी का भी है जो की सम्वत 1943 से पहले का है. 

अब यह लेख मिलने से पूरी स्थिति स्पष्ट हो गई. सभी बातों को जोड़ कर यह निष्कर्ष निकलता है की अजीमगंज में श्री नेमिनाथ स्वामी का एक प्राचीन मंदिर था जिसकी प्रतिष्ठा श्री जिन लाभ सूरी जी के शिष्य श्री जिन चंद्र सूरी ने सम्वत १८५० में करवाई थी. कालांतर में वह प्राचीन मंदिर गंगा के रुख  बदलने से नदी के गर्भ में समा गया. उसके बाद जहाँ श्री वासुपूज्य भगवन का मंदिर था उसी परिसर में एक नवीन मंदिर का निर्माण कराया गया. इस नव निर्मित श्री नेमिनाथ स्वामी मंदिर में श्री नेमिनाथ स्वामी के प्राचीन मंदिर (गंगा के गर्भ में समाये हुए) से प्राप्त प्रतिमाओं की पुनर्प्रतिष्ठा सम्वत १९४३ में करवाई गई. 

अब अजीमगंज श्री नेमिनाथ स्वामी के मंदिर के इतिहास के सम्वन्ध में किसी प्रकार का कोई भ्रम नहीं है और सभी बातें पूरी तरह से स्पष्ट हो चुकी है. 


Jyoti Kothari 

(Jyoti Kothari is the proprietor of Vardhaman Gems, Jaipur, representing Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is a Non-resident Azimganjite.) www.vardhamangems.com

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