Monday, March 30, 2009

कुछ रीति रिवाज़: जापा और जनम


शहरवाली में जनम से ले कर मृत्यु तक अनेकों रीति रिवाज़ प्रचलित थे। वहां लगभग हर घर में जापा घर होता था एवं बच्चे का जन्म वहीँ होता था। दाई जापा करवाती थी। वोही जच्चा बच्चा को कड़वे (सरसों) तेल से मालिश करती थी। वहाँ कड़वे तेल का दीपक २४ घंटे जलता रहता था। उस दीपक से काजल बना कर जच्चे बच्चे को लगाया जाता था। दरवाजा और खिड़की बंद रहता था। एक महीने तक उस कमरे में कोई भी मर्द नहीं जाता था एवं जच्चा बच्चा बाहर नहीं निकलता था। कोई भी ठंडा चीज यहाँ तक की कच्चा पानी भी नही पीने देते थे।
कभी दाई से जापा नही करवाने पर अस्पताल में भी जापा होता था तब पालकी में बैठा कर अस्पताल ले जाते थे और अस्पताल से वापस आ कर फिर उन्हें जापा घर में ही रखा जाता था।

जापे का खाना अलग बनता था जिसमे सौंठ, अजवायन, गोन्द, मखाने, बादाम और घी का बहुत प्रयोग होता था। जच्चे को अछ्वानी और बच्चे को जनम घुंटी दिया जाता था। साँची पान में छुहारा और अजवायन डाल कर जच्चे को खिलाया जाता था। बिमारी होने पर कबिराजी (वैद्यकी) दवाएं दी जाती थी। कम से कम ६ महीने तक बच्चे को माँ का दूध ही पिलाया जाता था।

बच्चा एक महीने का होने पर मन्दिर में स्नात्र पूजा करवाया जाता था। माँ व बच्चे को सब से पहले मन्दिर ले जा कर दर्शन करवाया जाता था। एक महीने बाद स्नान कर के जब बच्चा बाहर आता था तब माँ को लाल साड़ी व ओधनी पहना कर नेक चार किया जाता था। नेक चार में नाइन व पड्यानी की बहुत भूमिका होती थी। लड़के का एक महिना और लड़की होने पर सवा महीने का सूतक रखा जाता था।

पंडित जी से कुंडली बनवाई जाती थी और कुंडली के अनुसार नाम रखा जाता था। देव नारायण शर्मा वहां के प्रसिद्ध पंडित थे,जो ज्योतिष के अच्छे जानकर थे। उस समय पंडित जी के खाते में अजीमगंज-जियागंज व आसपास के जैन, पांडे व नाइ के यहाँ होने वाले प्रत्येक व्यक्ति के जन्म का व्यौरा रखा जाता था। यह एक प्रकार से जन्म की रजिस्ट्री होती थी जिसे कोर्ट में भी मान्यता प्राप्त थी। आवश्यकता होने पर इस खाते को कोर्ट में पेश किया जाता था। मैंने ये खाते देखे हैं जिनमें लगभग संवत १८४० से २००० अर्थात इस्वी सन १७८५ से ले कर १९५५ तक के सभी जन्म का संक्षिप्त व्यौरा दर्ज है। इसमें पिता का नाम, जन्म का समय, तारीख, संवत, नक्षत्र व संतानोत्पत्ति का क्रम दर्ज है।

छूना (M.C) होने पर भी जनाना लोग जापा घर में रहती थी। वहां पर इस चीज का बहुत विचार था।

रीति रिवाज़: सिलामी और व्याह भाग २ 
ज्योति कोठारी 

Thanks,
(Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry)
info@vardhamangems.com
Please follow us on facebook for latest updates.

allvoices

1 comment:

  1. Hi,
    Very good post about rituals in Shaharwali society. Thanks

    ReplyDelete