श्री विभूति भूषण दत्त की लिखी किताब पर्यटन में मुर्शिदाबाद अजीमगंज व बड़नगर में से प्राप्त जानकारी के अनुसार अजीमगंज का प्राचीन नाम डीही जैनेश्वर था। डीही का अर्थ सरोवर अथवा ग्राम समूह होता है और जैनेश्वर अर्थात जैनों के ईश्वर या तीर्थंकर परमात्मा। अनेक जिनमंदिरों से सुशोभित यह एक अति प्राचीन तीर्थस्थल था।
পর্যটনে মুর্শিদাবাদ আজিমগঞ্জ ও বড় নগর, পৃষ্ঠ ৫১ |
मुर्शिदाबाद की समृद्धि से आकर्षित हो कर एवं व्यापार वाणिज्य का बड़ा केंद्र जान कर मुग़ल काल मे जब राजस्थान से ओसवाल जैन लोग पुनः मुर्शिदाबाद आकर बसने लगे तब इस प्राचीन तीर्थभूमि को पुनः अपना निवास बनाया और यहां पुनः अनेक जिनमंदिरों का निर्माण करवाकर इसके तीर्थ स्वरूप को पुनर्जीवित किया।
"बंगाल के जैन मंदिर: एक शोध परियोजना" के परियोजना निदेशक डॉ शिवप्रसाद जी कुछ दिनों पूर्व अपने शोध के सिलसिले में अजीमगंज गए थे वहां उन्होंने পর্যটনে মুর্শিদাবাদ আজিমগঞ্জ ও বড় নগর पुस्तक के लेखक श्री विभूति भूषण दत्त से मुलाकात की. उन्होंने डॉ शिवप्रसाद जी को यह पुस्तक भेंट में दी. चूँकि डॉ शिवप्रसाद जी हिंदी भाषी हैं और बांग्ला नहीं पढ़ सकते, उन्होंने मुझे ये पुस्तक कल ला कर दी और उसमे से मुझे इस तथ्य की जानकारी मिली.
Jyoti Kothari,
Advisor, Vardhaman Infotech, Jaipur. He is a Non-resident Azimganjite.)
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