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Sunday, February 4, 2018

ब्रिटिश गजट में मुर्शिदाबाद का जैन समाज १८७२

ब्रिटिश गजट में मुर्शिदाबाद का जैन समाज १८७२ 


A Statistical Account of Bengal, Volume 9

By Sir William Wilson Hunter






Sir William Wilson Hunter

बंगाल का इतिहास लिखते हुए इतिहासकारों ने मुर्शिदाबाद के सम्वन्ध में बहुत कुछ लिखा है और स्वाभाविक रूप से उसमे शहरवाली जैन समाज उसके व्यक्तियों, मंदिरों एवं अन्य सामाजिक कार्यों का जिक्र आया है. इन्ही इतिहासकारों में से एक सर विलियम विल्सन हंटर ने "ए स्टैटिस्टिकल एकाउंट ऑफ़ बंगाल" (भाग १ से २०) नाम की पुस्तक लिखी जो की सन १८७५ से १८७७ के बीच प्रकाशित हुई. यह एक प्रकार से ब्रिटिश सर्कार का दस्तावेज भी है. इस किताब के भाग ९ में मुर्शिदाबाद जिले का विस्तृत वर्णन एवं सांख्यिकी विवरण है. 


यह पुस्तक अभी मेरे हाथ लगा है और मैंने इसे पढ़ना शुरू किया ही है. इस पुस्तक में २२ जगह अजीमगंज, ६ जगह जियागंज, २२ जगह जगत सेठ, ६ जगह राय धनपत सिंह, दो जगह लक्ष्मीपत सिंह, दो जगह ओसवाल, एवं १५ जगह जैन शब्द का उल्लेख मिलता है.


मुर्शिदाबाद के शहरवाली जैन समाज के इतिहास को जानने में यह पुस्तक बेहद उपयोगी है और "बंगाल के जैन मंदिर: एक शोध परियोजना" में अत्यंत सहायक है. इस पुस्तक के अध्ययन के बाद जो भी तथ्य सामने आएगा उससे सभी को यथा समय अवगत कराया जायेगा. अपने समाज के इतिहास में रूचि रखनेवालों के लिए सन्दर्भ के रूप में निम्नलिखित जानकारी दे रहा हूँ. 

इस पुस्तक के पृष्ठ संख्या २९, ४६, ५८, ८३, ८४, ८६, ९१, १४१, १४३, १४४, १४५, १४६, १४७, १४८, १५६, १५८, १६८, १६९, १७०, १७१, २१२, एवं ३७७ में "अजीमगंज"पृष्ठ संख्या २९, ४९, ८३, १४२, १६७, एवं ३८१ में जियागंजपृष्ठ संख्या ४९, ५२, ५८, १७६, १७९, १८०, १८१, १८३, १९२, २५२, २५४, २५५, २५६, २५७, २५८, २६०, २६१, २६२, २६३, २६४, २६५, एवं ३८१ जगत सेठपृष्ठ संख्या १३९, १४७, १७१, २१२, २४७, २४८ में राय धनपत सिंह, पृष्ठ संख्या ४३ एवं ८३ में ओसवाल शब्द का उल्लेख मिलता है.


नोट:  बंगाल के जैन मंदिर: एक शोध परियोजना के परियोजना निदेशक जैन इतिहास विशेषज्ञ डॉक्टर शिवप्रसाद जी इस समय अजीमगंज में हैं और तथ्यों का संग्रह कर रहे हैं, इसके बाद वो कोलकाता आएंगे। सभी से निवेदन है कि उन्हे सहयोग प्रदान करें. यदि आपके पास बंगाल के जैन के जैन मंदिर, उपाश्रय,  भोजनशाला, अतिथिशाला, धर्मशाला, जैन समाज के स्कूल, कॉलेज, अथवा इनके संस्थापक परिवारों के बारे में कोई ऐतिहासिक जानकारी या सुचना हो तो उन्हें अवश्य प्रदान करें. 

Jyoti Kothari
Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur, representing Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is a Non-resident Azimganjite.

allvoices

Friday, June 26, 2015

शहरवाली समाज को जोड़ें मुर्शिदाबाद के जैन

श्री सम्भवनाथ मंदिर, अजीमगंज

 मुर्शिदाबाद खास कर अजीमगंज एवं जियागंज के श्वेताम्बर जैन (ओसवाल) शहरवाली समाज के रूप में दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं.  नवाब मुर्शीद कुली खां के समय से ही यहाँ का वैभव, संस्कृति, धर्मनिष्ठा पुरे भारत में अनुकरणीय रही है. कालक्रम से इन शहरों का वैभव भी नष्ट हुआ एवं १९५४ के जमींदारी उन्मूलन कानून के बाद यहाँ का शहरवाली समाज मुर्शिदाबाद छोड़ कर जाने को मज़बूर होने लगा. आज इन दोनो शहरों अजीमगंज व जियागंज का वैभव खंडहरों में बस कर नामशेष रह गया है।

आज इस समाज के अधिकांश लोग इन दोनों शहरों से बाहर रहने लगे हैं. ख़ुशी की बात ये है शहरवाली समाज के लोग विश्व के भिन्न भिन्न स्थानो में रहते हुए वहां पर भी अपनी छाप छोड़ रहे हैं. आज भी शहरवाली समाज का अधिकांश भाग कोलकाता शहर में रहता है परन्तु अन्य स्थानो में रहने वालों की भी कोई कमी नहीं है. मैंने इस ब्लॉग के माध्यम से उन लोगों को जोड़ने का एक छोटा सा प्रयास किया है और विभिन्न स्थानो में रहनेवाले समाज के लोगों का स्थानवार विवरण भी दिया है।  परन्तु यह प्रयास अभी अधूरा है और अभी भी ऐसे लोग बहुत हैं जिनके बारे में मुझे पता नहीं होने से उनके बारे में लिखना संभव नहीं हो सका है।

अतः आप सभी से निवेदन है की इस सम्वन्ध में आपको कोई भी जानकारी हो तो मुझे देने की कृपा करें जिससे उन्हें भी इस ब्लॉग के माध्यम से जोड़ा जा सके. आपका यह सहयोग पुरे समाज को जोड़े रखने में सहायक होगा। इसके साथ ही शहरवाली समाज की ऐतिहासिक सामग्री, फोटो, दस्तावेज एवं समाचार भी भेजने का कष्ट करें जिससे इस ब्लॉग को पढ़नेवालों तक यह जानकारी पहुंच सके.

Thanks,
(Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry)
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