बंगाल की ऐतिहासिक जैन नगरी अजीमगंज-जियागंज
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में स्थित अजीमगंज-जियागंज ऐतिहासिक जैन नगरी है. भागीरथी (गंगा) नदी के दोनों किनारे बसी है या दोनों युगल नगरी. नबाबों के समय मुर्शिदाबाद बंगाल-बिहार- उड़ीसा इन तीन राज्यों की राजधानी थी और यहाँ का वैभव विश्वविख्यात था. नबाबों से यहाँ के समृद्धिशाली जैनों का नजदीकी सम्बन्ध था एवं जगत सेठ उस समय विश्व के धनाढ्य तम व्यक्ति थे.
भागीरथी गंगा के किनारे बसा शहर |
उस समय वहां निवास करनेवाले जैन न केवल समृद्ध थे वल्कि अत्यंत धार्मिक एवं परोपकारी भी थे. उनलोगों ने अनेक सुविशाल, मनोरम स्थापत्य कला युक्त जिन मंदिर बनवाकर अजीमगंज-जियागंज को तीर्थ स्वरुप बना दिया था. जिन मंदिरों/ दादाबाड़ियों के अतिरिक्त अनेक विद्यालय, महाविद्यालय, चिकित्सा केंद्र, धर्मशाला, भोजनशाला आदि जन हितकर प्रतिष्ठानों का भी निर्माण करवाया था.
अजीमगंज के जिन मंदिर
अजीमगंज में कुल ८ जिन मंदिर एवं एक घर देरासर है.
१. श्री नेमिनाथ स्वामी का मंदिर
मूलगंभारा श्री नेमिनाथ स्वामी मंदिर |
श्री नेमिनाथ स्वामी का मंदिर पंचायती मंदिर या बड़े मंदिर के नाम से जाना जाता है. पूर्व में यहाँ वासुपूज्य भगवन का एक प्राचीन मंदिर था. उसी स्थान पर श्री नेमिनाथ के मंदिर की भी स्थापना बाबू महासिंह मेघराज कोठारी परिवार द्वारा लगभग 125 वर्ष पूर्व करवाया गया. यहाँ कुल तीन गम्भारे हैं मूलनायक श्री नेमिनाथ स्वामी, श्री वासुपूज्य स्वामी, एवं श्री आदिनाथ स्वामी. मूल गम्भारे की तीन काले पाषाण की प्रतिमाएं सम्प्रतिकालीन मानी जाती है.
इस परिसर में एक पौषाल (उपाश्रय), आयम्बिल शाला, भोजनशाला, एवं धर्मशाला भी है. यहाँ की नवपद ओली प्रसिद्द है. इस वर्ष 2024 आश्विन में यहाँ 108 ओली की तपस्या होनेवाली है.
२. श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ मंदिर
मूलगंभारा श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ स्वामी मंदिर |
श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ भगवान् के इस भव्य मंदिर का अभी पुनर्निर्माण हो रहा है. इस मंदिर में भी पहले श्री अजितनाथ भगवन का प्राचीन मंदिर था. उसी परिसर में बॉस में श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ का मंदिर बनाया गया. मंदिर की सभी प्रतिमाएं अभी श्री नेमिनाथ भगवान् के मंदिर में रखी हुई है.
हरख चंद गोलेच्छा परिवार का घर देरासर (छोटी शांतिनाथ जी) की प्रतिमाएं भी कालांतर में इसी मंदिर भी विराजमान कर दी गई थी. यहाँ श्वेताम्बर जैनों की एकमात्र रत्नमयी चौवीसी थी. गोलेछा परिवार द्वारा निर्मित एवं प्रतिष्ठित रत्नमयी चौवीसी में से कई प्रतिमाएं 1990 के दशक में चोरी हो गई थी जिनमे से कुछ वापस बरामद हुई थी. इन प्रतिमाओं के दर्शन आज भी हो सकते हैं.
३. श्री सांवलिया पार्श्वनाथ मंदिर एवं दादाबाड़ी, रामबाग
पांच गम्भारों एवं शिखर युक्त यह विशाल एवं भव्य मंदिर किन्ही अज्ञात यति जी के द्वारा निर्मित करवाया गया था. के साथ विशाल बाग बगीचे एवं एक सुन्दर तालाब इसकी शोभा में चार चाँद लगाते हैं. जीर्ण हो जाने के कारण वर्त्तमान में इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया जा रहा है. आगामी महावीर जन्म कल्याणक दिवस पर काले पाषाण से निर्मित इस मंदिर की पुनर्प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य श्री मुक्तिप्रभ सूरीश्वर जी के कर कमलों से होनेवाली है.
मूलगंभारा रामबाग |
रामबाग स्थित श्री पार्श्वनाथ भगवान |
इसी परिसर में एक विशाल दादाबाड़ी भी है. इस दादाबाड़ी में स्फटिक रत्न के चार विशाल चरण विराजमान हैं. इनमे एक भविष्य में होनेवाले इस अवसर्पिणी काल के अंतिम युगप्रधान आचार्य श्री दुप्पह सूरी का चरण भी है. इस दादाबाड़ी का जीर्णोद्धार प्रवर्तिनी साध्वी श्री शशिप्रभा श्री जी की प्रेरणा से हुआ है.
रामबाग दादाबाड़ी में स्फटिक रत्न के प्राचीन चरण |
प्राचीन दादाबाड़ी के जीर्णोद्धार का दृश्य |
इस विशाल परिसर में गणधर गौतम गौशाला भी संचालित है जिसमे गायों के साथ घोड़े भी हैं.
४. श्री सम्भवनाथ स्वामी मंदिर एवं दादाबाड़ी
स्वनामधन्य बुधसिंह प्रताप सिंह दुगड़ परिवार के बाबू धनपत सिंह दुगड़ ने इस विशाल मंदिर का निर्माण करवाया था. मूल मंदिर में श्री सम्भवनाथ स्वामी की 77 इंच की विशाल पञ्च तिर्थी प्रतिमा विराजमान है. इस प्रतिमा को पालीताना से लाने के लिए नलहाटी से अजीमगंज तक 47 किलोमीटर की नई रेलवे लाइन बिछाई गई थी. यह दुगड़ परिवार की निजी रेलवे थी.
श्री संभवनाथ स्वामी मंदिर |
मूल मंदिर की दाहिनी और एक पांच शिखर युक्त मंदिर और भी है. मंदिर के साथ एक सुन्दर दादाबाड़ी भी है. किसी समय यहाँ एक उपाश्रय भी था.
५. श्री पद्मप्रभु स्वामी मंदिर
श्रीमाल परिवार द्वारा निर्मित यह मंदिर भी विशाल है. अभी कुछ ही समय पूर्व इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवा कर इसे भव्य स्वरुप दिया गया है. यहाँ श्री ऋषभदेव भगवान् का एक विशाल चरण (रायण रूंख) भी स्थापित है. जीर्णोद्धार के समय यहाँ नवीन रत्नमयी मूर्ति भी प्रतिष्ठित कराइ गई है.
६. श्री गौड़ी पार्श्वनाथ स्वामी का मंदिर
यह अजीमगंज का सबसे पुराण मंदिर है. यह बुधसिंह प्रताप सिंह दुगड़ परिवार का घर देरासर था. अभी कुछ समय पूर्व इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवा कर इसे शिखरवद्ध मंदिर का रूप दिया गया है. यह मंदिर भागीरथी गंगा के किनारे बना हुआ है.
श्री गौड़ी पार्श्वनाथ |
७. श्री सुमतिनाथ स्वामी का मंदिर
अजीमगंज के विख्यात नाहर परिवार द्वारा निर्मित श्री सुमतिनाथ स्वामी का मंदिर शहर के बीचोबीच स्थित है. अभी कुछ समय पूर्व इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवा कर इसे भव्य स्वरुप दिया गया है.
श्री सुमतिनाथ स्वामी मंदिर |
८. श्री शान्तिनाथ स्वामी का मंदिर
रेल लाइन की दूसरी तरफ बारह द्वारी में यह एकमात्र जैन मंदिर है. यह लाल मंदिर के नाम से भी प्रसिद्द है. इस मंदिर का निर्माण संभवतः जगत सेठ जी की बहन ने करवाया था. कुछ वर्षों पूर्व इस मंदिर का भी जीर्णोद्धार करवाया गया था.
श्री शांतिनाथ भगवान, अजीमगंज |
जियागंज के जिन मंदिर
जियागंज में कुल 4 जिनमंदिर एवं एक दादाबाड़ी है. इसके अतिरिक्त जियागंज से ४ किलोमीटर की दुरी पर महिमापुर एवं वहां से कुछ ही दुरी पर कठगोला का मंदिर है.
श्री सम्भवनाथ स्वामी मंदिर, जियागंज
यह जियागंज का प्रमुख एवं पंचायती मंदिर है जिसमे मूलनायक श्री सम्भवनाथ स्वामी हैं. इस मंदिर में सीढ़ियों से चढ़ कर जाना पड़ता है क्योंकि यह लगभग एक मंजिल जितनी ऊंचाई पर बना है. मंदिर के साथ एक उपाश्रय भी है जहाँ पर अब सभी धार्मिक क्रियाएं होती है.
श्री विमल नाथ स्वामी मंदिर
राय बहादुर लक्ष्मीपत सिंह दुगड़ परिवार ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था. मंदिर भव्य एवं कलात्मक बना हुआ है. इस मंदिर का जीर्णोद्धार अभी कुछ दिन पूर्व ही हुआ है और इसके बहार के स्वरुप को भी बहुत सुन्दर बनाया गया है. इस मंदिर के साथ एक धर्मशाला व आयम्बिल शाला भी है, इसलिए यह आमिल खता के नाम से भी प्रसिद्द है.
श्री आदिनाथ स्वामी मंदिर
यह जियागंज का सबसे पुराना लगभग 250 वर्ष प्राचीन मंदिर है. मंदिर में लगे पुराने समय के टाइल्स से इसके पुराने होने का आभास होता है. यह मंदिर छजलानी परिवार द्वारा निर्मित है.
कीरतबाग मंदिर, जियागंज |
कीरत बाग मंदिर एवं दादाबाड़ी
अजीमगंज के रामबाग के सामान शहर से दूर किरतबाग विशाल परिसर में बना जिन मंदिर एवं दादाबाड़ी है. यहाँ पर गयसाबाद के प्राचीन मंदिर से लाई गई श्री वासुपूज्य स्वामी एवं श्री पार्श्वनाथ स्वामी की काले पाषाण की युगल प्रतिमा प्रतिष्ठित है. कुछ वर्षों पूर्व आचार्य श्री पद्मसागर जी के द्वारा इसका जीर्णोद्धार करवा कर इसे सुन्दर नवीन रूप दिया गया. यह परिसर मनोरम, विशाल बाग बगीचों से सुसज्जित है.
महिमापुर (नशिपुर)
महिमापुर में जगत सेठ द्वारा निर्मित प्राचीन श्री पार्श्वनाथ भगवान् का कसौटी पत्थर से निर्मित मंदिर था. पुरे विश्व में कसौटी पत्थर का यह एकमात्र मंदिर था. इसमें बंगाल के 8वीं शताब्दी के पाल वंश के राजा महिपाल का कसौटी का सिंहासन भी लगा हुआ था. पूरा मंदिर कसौटी पत्थर का था. कालांतर में इसका कसौटी पत्थर यहाँ से स्थानांतरित कर दिया गया. अब भी यहाँ जिनेश्वर देव का मंदिर है.
श्री आदिनाथ स्वामी मंदिर, काठगोला
राय बहादुर लक्ष्मीपत सिंह दुगड़ परिवार ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था. यह मंदिर अत्यंत विशाल है. मंदिर का परिसर अत्यंत विशाल है और लगभग 100 एकड़ भूमि में फैला है. इस परिसर में एक दादाबाड़ी भी है. मंदिर परिसर बाग़ बगीचों एवं बाबड़ियों से सुशोभित है. यहाँ एक सुन्दर महल भी बना हुआ है जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है. इस मंदिर का सुउच्च विशाल सिंहद्वार अपने आप में अनूठा है.
(Jyoti Kothari is proprietor of Vardhaman Gems, Jaipur, representing Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is a Non-resident Azimganjite.)
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